Suchir Balaji: 26 वर्षीय भारतीय-अमेरिकी शोधकर्ता सुचिर बालाजी, जो लगभग चार वर्षों तक ओपनएआई से जुड़े रहे और चैटजीपीटी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ने हाल ही में कंपनी से इस्तीफा दे दिया और जनरेटिव एआई की नैतिक और कानूनी चिंताओं के बारे में खुलकर बात की.
अंतिम पोस्ट में क्या कहा?
अपनी मृत्यु से पहले बालाजी ने X (पहले ट्विटर) पर एक विस्तृत पोस्ट साझा की थी. उन्होंने लिखा कि मैंने हाल ही में NYT की एक स्टोरी में हिस्सा लिया, जिसमें मैंने फेयर यूज के बारे में अपने संदेह जाहिर किए. मैंने इस पर एक ब्लॉग पोस्ट भी लिखा है. मैं लगभग चार वर्षों तक OpenAI में रहा और पिछले डेढ़ साल चैटGPT पर काम किया.
उन्होंने समझाया कि AI उत्पादों द्वारा कॉपीराइट डेटा का उपयोग कैसे कानूनन विवादित हो सकता है. उनके अनुसार, 'फेयर यूज का तर्क तब कमजोर पड़ता है, जब AI मॉडल उसी डेटा के प्रतिस्थापन तैयार करते हैं, जिस पर वे प्रशिक्षित होते हैं.'
नैतिक और कानूनी चिंताएं
बालाजी ने यह भी बताया कि उनका उद्देश्य ओपनएआई या चैटजीपीटी की आलोचना करना नहीं था, बल्कि पूरे एआई उद्योग में व्यापक मुद्दों पर चर्चा करना था. उन्होंने कहा कि मशीन लर्निंग शोधकर्ताओं को कॉपीराइट कानून की गहरी समझ होनी चाहिए, क्योंकि यह विषय बेहद महत्वपूर्ण है.
सुचिर बालाजी की मौत ने एआई समुदाय को झकझोर दिया है. उन्होंने जो सवाल उठाए हैं. वे न केवल उनके अंदरूनी अनुभव को दर्शाते हैं, बल्कि एआई की तेजी से आगे बढ़ती दुनिया में नैतिकता और पारदर्शिता की आवश्यकता को भी उजागर करते हैं.