Stock market crash: कल ट्रंप और जेलेंस्की के बीच हुई मुलाकात के बाद निवेशकों और कारोबारियों का मानना है कि शेयर बाजार की हालत सुधर सकती है. पिछली दिवाली निवेशकों और कारोबारियों के लिए कुछ खास नहीं रही. यही वजह है कि अक्टूबर से शेयर बाजार में गिरावट जारी है. फरवरी के महीने में बाजार में 28 साल बाद सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली थी. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के बाद शेयर बाजार के निवेशकों को उम्मीद है कि बाजार में उछाल आ सकता है.
अर्थव्यवस्था को सुधारने पर किया काम
पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने अपने देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने पर काम किया. उस दौरान ट्रंप ने चीन के साथ व्यापार युद्ध तक किया था, लेकिन वे सैन्य युद्ध से लगातार दूरी बनाए हुए थे. इसी तरह इस बार भी ट्रंप का ध्यान अमेरिकी अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाने पर है. यही वजह है कि वे मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना चाहते हैं. इसके साथ ही ट्रंप ने व्यापार संतुलन, गोल्ड कार्ड वीजा स्कीम और फिजूलखर्ची वाले सरकारी खर्चों पर टैरिफ लगाने जैसे काम भी किए हैं.
कौन बनेगा राष्ट्रपति
इस बीच कुछ लोगों के मन में यह सवाल भी उठ रहा होगा कि क्या अमेरिकी नीति का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ता है? तो आपको बता दें कि इसका असर भारतीय शेयर बाजार के साथ-साथ वैश्विक बाजार पर भी पड़ता है. यही वजह है कि एफपीओ की भारतीय बाजार में बड़ी हिस्सेदारी है.
जब अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव शुरू हुए तो एफपीओ ने भारतीय बाजार से हाथ खींचना शुरू कर दिया. इसके पीछे वजह यह थी कि किसी को नहीं पता था कि कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप में से कौन राष्ट्रपति बनेगा. यही वजह है कि भारतीय बाजार के साथ-साथ वैश्विक बाजार में भी हलचल मच गई.
वैश्विक बाजार पर अच्छा असर
अगर डोनाल्ड ट्रंप और वोलोडिमिर जेलेंस्की किसी डील पर सहमत होते हैं तो इसका फायदा शेयर बाजार में देखने को मिल सकता है. अगर मीटिंग अच्छी रही और 3 साल से चल रहा युद्ध रुका तो उम्मीद है कि शेयर बाजार अच्छा प्रदर्शन करेगा. इन मुद्दों पर थोड़ा असमंजस है कि डोनाल्ड ट्रंप के रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी अच्छे संबंध हैं.
अगर युद्ध खत्म होता है तो वैश्विक बाजार पर अच्छा असर पड़ेगा. राष्ट्रपति बनने से पहले ही ट्रंप ने कहा था कि वे 24 घंटे में यूक्रेन युद्ध रोक सकते हैं. वे शुरू से ही जल्दी शांति समझौते का समर्थन करते रहे हैं.