श्रीलंका के नए मार्क्सवादी राष्ट्रपति की पार्टी को बहुमत, आर्थिक पुनरुद्धार को मिला मजबूत जनादेश

Anura Kumara Dissanayake: 15 नवंबर दिन शुक्रवार को आए आधिकारिक चुनाव परिणामों के अनुसार, श्रीलंका के नए मार्क्सवादी राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके की पार्टी ने संसद में बहुमत हासिल कर लिया है, जिससे उन्हें अपने आर्थिक पुनरुद्धार एजेंडे के लिए मजबूत जनादेश मिला है। उनकी पार्टी की सफलता ने विपक्षी समागी जना बालवेगया (United People's Power Party) को सिर्फ 31 सीटों तक सीमित कर दिया.

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Anura Kumara Dissanayake: श्रीलंका के नए मार्क्सवादी राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके की पार्टी नेशनल पीपुल्स पावर पार्टी ने संसदीय चुनाव में बहुमत हासिल किया है. आधिकारिक परिणामों के अनुसार, पार्टी ने संसद की 225 सीटों में से 123 सीटें जीतीं. यह उनके आर्थिक पुनरुद्धार एजेंडे के लिए मजबूत जनसमर्थन को दर्शाता है.

21 सितंबर को राष्ट्रपति बनने वाले दिसानायके ने श्रीलंका की पारंपरिक राजनीतिक पार्टियों को खारिज कर देश के चुनावी परिदृश्य में बड़ा बदलाव किया है. उनकी पार्टी की सफलता ने विपक्षी समागी जना बालवेगया (United People's Power Party) को सिर्फ 31 सीटों तक सीमित कर दिया.

तमिल गढ़ों में भी मिली जीत

इस चुनाव का सबसे बड़ा आश्चर्य जाफना जिले में उनकी जीत है, जो पारंपरिक रूप से जातीय तमिल दलों का गढ़ माना जाता है. यह जीत उत्तरी श्रीलंका की राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत देती है. जातीय तमिल समुदाय, जो सिंहली-बहुमत वाले नेताओं से ऐतिहासिक रूप से सावधान रहा है, ने पहली बार एक मार्क्सवादी नेता को समर्थन दिया है.

श्रीलंका में संसद की 225 सीटों में से 196 सीटों का आवंटन आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत होता है, जो प्रत्येक जिले में प्राप्त वोटों के अनुपात के आधार पर तय होता है. बाकी 29 सीटें राष्ट्रीय सूची के तहत पार्टियों को देशव्यापी वोट शेयर के आधार पर दी जाती हैं. 1983 से 2009 तक चले गृह युद्ध में 100,000 से अधिक लोग मारे गए. यह चुनाव परिणाम तमिल समुदाय के रुख में बदलाव और देश में शांति और विकास की नई उम्मीद को दर्शाता है.