Indian Rupee: अक्टूबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में 3.3 फीसदी की गिरावट आई है. हालांकि, सरकार ने कहा कि यह गिरावट अन्य एशियाई मुद्राओं के मुकाबले कम रही है. वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में यह जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि कैलेंडर वर्ष 2024 की शुरुआत से ही रुपया समेत अन्य एशियाई मुद्राएं डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रही हैं. उन्होंने इसके लिए वैश्विक अनिश्चितताओं और अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को जिम्मेदार ठहराया.
डॉलर इंडेक्स में बढ़ोतरी का असर
मंत्री ने कहा कि अमेरिकी डॉलर सूचकांक 1 जनवरी 2024 से 30 जनवरी 2025 के बीच 7 प्रतिशत बढ़ा, जिससे सभी एशियाई मुद्राएं प्रभावित हुईं. इस दौरान भारतीय रुपये में 3.3 प्रतिशत की गिरावट आई. पंकज चौधरी के अनुसार, इस अवधि में दक्षिण कोरिया की मुद्रा वोन में 8.1 प्रतिशत और इंडोनेशियाई रुपिया में 6.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. उन्होंने बताया कि इसी अवधि में जी-10 देशों की प्रमुख मुद्राओं में भी 6 प्रतिशत से अधिक की गिरावट हुई.
यूरो और ब्रिटिश पाउंड पर असर
उन्होंने आगे कहा कि यूरो में 6.7 प्रतिशत और ब्रिटिश पाउंड में 7.2 प्रतिशत की गिरावट देखी गई. इसके अलावा, भारत और अमेरिका के बीच ब्याज दरों के घटते अंतर से भी रुपये पर दबाव बना हुआ है. भारतीय रुपये की कमजोरी वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों और अमेरिकी डॉलर की मजबूती के कारण बनी हुई है. हालांकि, सरकार का कहना है कि रुपये की गिरावट अन्य मुद्राओं की तुलना में नियंत्रित रही है.