सिएटल में भारतीय वाणिज्य दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन, नेता क्षमा सावंत का वीज़ा तीन बार खारिज

भारतीय-अमेरिकी राजनीतिज्ञ क्षमा सावंत ने दावा किया है कि भारत सरकार ने उनके वीजा आवेदन को तीन बार खारिज कर दिया, जबकि उनके पति को उनकी बीमार मां से मिलने के लिए आपातकालीन वीजा दिया गया था. सावंत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि मैं और मेरे पति सिएटल में भारतीय वाणिज्य दूतावास में हैं.

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IndianAmerican: भारतीय-अमेरिकी राजनीतिज्ञ क्षमा सावंत ने दावा किया है कि भारत सरकार ने उनके वीजा आवेदन को तीन बार खारिज कर दिया, जबकि उनके पति को उनकी बीमार मां से मिलने के लिए आपातकालीन वीजा दिया गया था. सावंत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि मैं और मेरे पति सिएटल में भारतीय वाणिज्य दूतावास में हैं.

 मेरी मां की गंभीर हालत के कारण उन्हें आपातकालीन वीजा दिया गया था, लेकिन मेरा वीजा यह कहकर खारिज कर दिया गया कि मेरा नाम रिजेक्ट लिस्ट में है. वे यह बताने से इनकार कर रहे हैं कि ऐसा क्यों किया गया. उन्होंने आगे लिखा कि हम यहां से जाने से इनकार कर रहे हैं, और अब हमें धमकी दी जा रही है कि पुलिस बुलाई जाएगी.

2014 से 2023 तक सिएटल सिटी काउंसिल की सदस्य रहीं सावंत का कहना है कि उन्होंने ‘वर्कर्स स्ट्राइक बैक’ नामक संगठन के सदस्यों के साथ मिलकर भारतीय वाणिज्य दूतावास में शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया. एक वीडियो में सावंत अपने पति के साथ भारतीय वाणिज्य दूतावास के बाहर खड़ी दिख रही हैं. उन्होंने कहा कि हम सिर्फ यह जानना चाहते हैं कि मेरा नाम 'रिजेक्ट लिस्ट' में क्यों है? मेरा वीज़ा तीन बार क्यों खारिज किया गया?

भारतीय वाणिज्य दूतावास की सफाई

सिएटल स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास ने X पर एक पोस्ट में कहा कि कुछ लोग कार्यालय समय के बाद उनके परिसर में जबरन घुस आए, जिससे कानून-व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो गई. इस पोस्ट में लिखा गया कि बार-बार अनुरोध करने के बावजूद, ये लोग दूतावास परिसर से हटने को तैयार नहीं थे और हमारे कर्मचारियों के साथ आक्रामक एवं धमकी भरा व्यवहार कर रहे थे. मजबूरी में हमें स्थानीय अधिकारियों को बुलाना पड़ा.

कौन हैं क्षमा सावंत?

पुणे में जन्मी क्षमा सावंत एक सेवानिवृत्त प्रिंसिपल और सिविल इंजीनियर की बेटी हैं. वह अमेरिका की ‘सोशलिस्ट अल्टरनेटिव’ नामक राजनीतिक पार्टी से जुड़ी रही हैं और उन्होंने सिएटल में न्यूनतम वेतन को 15 डॉलर प्रति घंटे तक बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने पहले कहा था कि भारत में गरीबी की भयावह स्थिति देखकर मैंने कम उम्र में ही मार्क्सवाद के बारे में सोचना शुरू कर दिया था. वहाँ एक ओर बेहद अमीर लोग हैं, तो दूसरी ओर संघर्ष करता मध्यम वर्ग और गरीब तबका.