स्कूल के बच्चों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग, आखिर कौन है रूस का अगला टारगेट?

Russia News: रूस और यूक्रेन के बीच पिछले कुछ सालों से युद्ध चल रहा है. ऐसे में अब रूस ने एक नया कदम उठाया है, जिसके बाद कहा जा रहा है कि रूस का अगला निशाना पोलैंड हो सकता है. इसी को ध्यान में रखते हुए पोलैंड ने एक बड़ा फैसला लिया है. इस फैसले ने सभी को चौंका दिया है.

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Russia News: रूस और यूक्रेन के बीच पिछले कुछ सालों से युद्ध चल रहा है. ऐसे में अब रूस ने एक नया कदम उठाया है, जिसके बाद कहा जा रहा है कि रूस का अगला निशाना पोलैंड हो सकता है. इसी को ध्यान में रखते हुए पोलैंड ने एक बड़ा फैसला लिया है. इस फैसले ने सभी को चौंका दिया है.

इसके साथ ही कई देश इसकी मिसाल भी पेश कर रहे हैं. यूक्रेन की धरती पर हुए धमाकों और यूक्रेन को नाटो की मदद के बाद कई देश मुश्किल में हैं. यह संकट गोला-बारूद की तबाही का कारण बन सकता है. इसका पहला निशाना यूक्रेन को गोला-बारूद सप्लाई करने वाला देश हो सकता है.

रूसी मिसाइलों का भी खतरा

पोलैंड भौगोलिक दृष्टि से एक ऐसा देश है जो नाटो का मुख्य केंद्र है. इस समय इस पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. यूक्रेन की सीमा से रूसी सैनिक इसमें प्रवेश कर सकते हैं. बेलारूस की धरती से रूसी मिसाइलों का भी खतरा हो सकता है. इसे ध्यान में रखते हुए पोलैंड ने अपनी सीमा पर सैनिकों की संख्या बढ़ा दी है. इसके बावजूद पोलिश सरकार डरी हुई है और भविष्य में युद्ध की तैयारियों की आशंका जता रही है.

देशभक्ति के नाम पर हथियार 

पोलैंड सरकार ने देश की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए प्राइमरी स्कूलों में बच्चों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने का फैसला लिया है. इस कार्यक्रम के तहत बच्चों को बंदूक के अलग-अलग प्रकारों की जानकारी दी जा रही है. निशाना साधने से लेकर बंदूक के पार्ट्स की बारीकियां भी सिखाई जा रही हैं. पोलिश सरकार ने इसे हथियार उठाने का देशभक्तिपूर्ण कार्यक्रम बताया है. 

युद्ध की स्थिति

राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा के नेतृत्व में इस अनिवार्य प्रशिक्षण का उद्देश्य युद्ध की स्थिति में हर नागरिक को तैयार करना है. बच्चों को हथियार चलाने का प्रशिक्षण देने की बात यूरोपीय संघ के कई देशों में चर्चा में रही, लेकिन पोलैंड में इसे पहली बार लागू किया गया है. यहां सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी बच्चों को हथियारों की बारीकियां सिखा रहे हैं. यह फैसला न केवल सुरक्षा उपाय है, बल्कि एक रणनीतिक संदेश भी है, जो दूसरे देशों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित कर सकता है.