BIMSTEC Summit: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में हैं, जहां बिम्सटेक सम्मेलन शुरू हो चुका है. इस सम्मेलन में सात देशों के राष्ट्राध्यक्ष हिस्सा ले रहे हैं.
1997 में शुरू हुए इस सम्मेलन को 2016 के बाद नई गति मिली, जिसमें पीएम मोदी ने अहम भूमिका निभाई है. उन्होंने इसे क्षेत्रीय सहयोग का एक मजबूत मंच बना दिया है, जिसे एक ठोस कदम के तौर पर देखा जा रहा है.
At the BIMSTEC Summit, PM @narendramodi highlighted the need to enhance collaboration among member nations and deepen engagement. He put forward a comprehensive 21-point Action Plan. pic.twitter.com/u2xGIea8SA
— PMO India (@PMOIndia) April 4, 2025
बिम्सटेक सम्मेलन
बिम्सटेक शिखर सम्मेलन क्षेत्रीय देशों के बीच सहयोग बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण मंच है. इस शिखर सम्मेलन को फिर से जीवंत करने में पीएम मोदी ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है. उनके नेतृत्व में शिखर सम्मेलन न केवल व्यापार और कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्रों में बल्कि बुनियादी ढांचे के विकास और क्षमता निर्माण में भी प्रगति कर रहा है.
बैंकॉक में आयोजित इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के दौरान पीएम मोदी ने अन्य नेताओं के साथ क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई. उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि हमारे प्रयासों से लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आएगा.
PM @narendramodi met Senior General Min Aung Hlaing of Myanmar on the sidelines of the BIMSTEC Summit in Bangkok. He conveyed condolences over the recent earthquake and assured India's assistance during this difficult time. They also discussed strengthening India-Myanmar ties,… pic.twitter.com/dHY0JzSrjR
— PMO India (@PMOIndia) April 4, 2025
कनेक्टिविटी और विकास पर जोर
सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने म्यांमार के वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग से मुलाकात की. इस बैठक में हाल ही में आए भूकंप में हुई जानमाल की हानि पर फिर से संवेदना व्यक्त की गई. पीएम मोदी ने कहा कि भारत इस कठिन समय में म्यांमार के अपने भाइयों और बहनों को हर संभव मदद मुहैया करा रहा है.
इसके अलावा दोनों नेताओं ने भारत और म्यांमार के बीच द्विपक्षीय संबंधों, खासकर कनेक्टिविटी, क्षमता निर्माण और बुनियादी ढांचे के विकास जैसे क्षेत्रों पर चर्चा की. यह सम्मेलन न केवल क्षेत्रीय एकता को मजबूत करेगा बल्कि भारत की विदेश नीति में एक नया अध्याय भी जोड़ेगा.