इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में कड़ा बयान देते हुए यूएन को 'पाखंडी' और 'यहूदी विरोधी दलदल' करार दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि इज़राइल को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है, जबकि देश अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है.
नेतन्याहू ने कहा, 'हमास को खत्म करना जरूरी है. यदि हमास सत्ता में रहा, तो वह बार-बार इज़राइल पर हमला करता रहेगा. हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक कि हम पूरी तरह से जीत हासिल नहीं कर लेते.'
प्रधानमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि इज़राइल गाजा के पुनर्निर्माण में शामिल नहीं होगा और युद्ध तब तक जारी रहेगा, जब तक हमास का अंत नहीं हो जाता. उन्होंने कहा, 'यदि हमास अपने हथियार डाल देता है और बंधकों को सुरक्षित रूप से लौटाता है, तो हम युद्ध रोक सकते हैं. लेकिन अगर ऐसा नहीं होता, तो हम अंतिम जीत तक लड़ते रहेंगे.'
अपने भाषण के दौरान नेतन्याहू ने ईरान पर भी तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा, 'ईरान में ऐसी कोई जगह नहीं है जहां इज़राइल का लंबा हाथ नहीं पहुंच सकता.' हिज़बुल्ला के खिलाफ इज़राइल की कार्रवाई पर उन्होंने कहा कि इज़राइल तब तक लड़ाई जारी रखेगा जब तक कि उसके सभी उद्देश्य पूरे नहीं हो जाते. इस दौरान, ईरान के प्रतिनिधियों सहित कई अन्य प्रतिनिधि नेतन्याहू के बयान के विरोध में महासभा से बाहर चले गए.
नेतन्याहू ने अपने बयान में अमेरिका को संदर्भित करते हुए कहा, 'कल्पना करें कि यदि आतंकवादियों ने एल पासो और सैन डिएगो जैसे शहरों को खाली करा दिया होता, तो अमेरिकी सरकार इसे कितने समय तक बर्दाश्त करती?'
नेतन्याहू ने दावा किया कि इज़राइल ने हमास के 90 प्रतिशत रॉकेट नष्ट कर दिए हैं और संगठन के आधे लड़ाकों को या तो मार गिराया है या पकड़ लिया है. उन्होंने जोर देकर कहा कि इज़राइल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह कार्रवाई अनिवार्य है.