'बात को न ज्यादा बढ़ाए और न ही किसी को कम आंके', इजरायली हमलों पर ईरान के सर्वोच्च नेता का बड़ा बयान

Khamenei: ईरान और इजरायल के बीच जारी यह तनाव पश्चिम एशिया में बढ़ते संघर्ष की ओर इशारा करता है. इजरायल के हालिया हमले में चार ईरानी सैनिकों की मौत और सैन्य ठिकानों पर निशाना बनाए जाने के बाद से इस विवाद ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है. इन हमलों के पीछे इजरायल का उद्देश्य अपनी सुरक्षा को लेकर की गई ईरान की सैन्य गतिविधियों पर रोक लगाना है, जबकि ईरान का कहना है कि ये हमले उसकी संप्रभुता का उल्लंघन हैं.

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Courtesy: Social Media

Khamenei: ईरान और इजरायल के हमले के बीच ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई का बयान इस संघर्ष में एक संतुलित प्रतिक्रिया को दर्शाता है. खामेनेई ने कहा कि इस घटना को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने या कम आंकने की आवश्यकता नहीं है, और सीधे तौर पर किसी जवाबी कार्रवाई की बात करने से परहेज किया. उनका कहना है कि ईरान को उसकी ताकत और इच्छाशक्ति से आंका जाना चाहिए, ताकि इजरायल जैसे देशों में फैल रही गलतफहमियों को रोका जा सके.

अमेरिका खुद को तनाव से रख रहा बाहर 

इस बीच ईरान के प्रभाव को पूरे क्षेत्र में हिजबुल्लाह, हमास, और हौथी विद्रोहियों जैसे सहयोगियों के माध्यम से महसूस किया जा रहा है, जो इजरायल और अमेरिका के साथ टकराव की स्थिति को और भी बड़ा बना सकता है. अमेरिकी अधिकारियों ने इस घटनाक्रम पर सार्वजनिक रूप से तटस्थता बनाए रखी है, जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका की रणनीति फिलहाल इस तनाव से खुद को अलग रखने की है.

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत जैसे देशों की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो गई है. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए संभावित मध्यस्थ के रूप में सामने आ सकते हैं. भारत के विश्वसनीय कूटनीतिक संबंधों और प्रभावशाली उपस्थिति के चलते इस संघर्ष को रोकने के लिए उम्मीद की जा रही है कि भारत सक्रिय रूप से पहल करेगा. फिलहाल, पश्चिम एशिया में बदलते समीकरण ने एक और बड़े युद्ध का खतरा पैदा कर दिया है, जो दुनिया भर की शांति और स्थिरता के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है.