Iran New Hijab Law: पिछले कई दिनों से ईरान में हिजाब को लेकर बवाल मचा हुआ है, जिसके चलते वहां की महिलाएं कई बार विरोध प्रदर्शन कर चुकी हैं. इस बार फिर वहां की संसद में ऐसा कानून पारित हुआ है, जिसे सुनकर आपकी रूह कांप जाएगी. आइए जानते हैं क्या है नया कानून?
क्या है नया कानून
ईरान की संसद में हिजाब को लेकर एक सख्त कानून पारित किया गया है. इस कानून के तहत हिजाब को सही तरीके से न पहनने और इसका विरोध करने पर कड़ी सजा दी जाएगी. ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन कई बार इसकी आलोचना कर चुके हैं, इसके बावजूद कानून निर्माताओं ने ईरान की संसद में इस कानून को पारित कर दिया है.
ईरान में पारित नए कानून के मुताबिक अब वहां महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य कर दिया गया है. अगर कोई इस कानून का पालन नहीं करता है तो उसे कड़ी सजा मिलेगी. जब ईरान में महिलाओं ने इसका विरोध करना शुरू किया तो देश के पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के आदेश पर ईरानी न्यायपालिका ने इस विधेयक को पारित नहीं किया और इस पर रोक लगा दी.
वर्ष 1979 में इस्लामिक क्रांति की शुरुआत हुई थी, जिसके बाद महिलाओं के लिए सार्वजनिक स्थानों पर अपने पापों को छिपाना अनिवार्य कर दिया गया था. इसके बाद वर्ष 2022 में ईरानी-कुर्द महिला महसा अमिनी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. इसके बाद ज्यादातर महिलाओं ने हिजाब पहनना बंद कर दिया था.
सीसीटीवी से होगी निगरानी
कानून के तहत, संस्थानों को सीसीटीवी फुटेज मुहैया करानी होगी ताकि हिजाब कानून का उल्लंघन करने वाली महिलाओं की पहचान हो सके. अगर संस्थान सहयोग करने से मना करते हैं, तो उन पर भी जुर्माना लगाया जाएगा या उन्हें निलंबित कर दिया जाएगा.
2022 में महसा अमीनी की पुलिस हिरासत में मौत के बाद ईरान में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए. महसा अमीनी को ड्रेस कोड न मानने पर गिरफ्तार किया गया था. महिलाओं ने इसके बाद हिजाब विरोधी आंदोलन शुरू किया, जिसने "वुमन, लाइफ, फ्रीडम" अभियान को प्रेरित किया.
विरोध दबाने की कोशिश?
विशेषज्ञों का मानना है कि इस कानून का उद्देश्य महिलाओं के विरोध को महंगा और असंभव बनाना है. अमेरिका में रहने वाली ईरानी विश्लेषक मैरी मोहम्मदी कहती हैं, "ईरानी महिलाएं अब आज़ादी या मौत के बीच चुनाव कर रही हैं." ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान, जो इन प्रतिबंधों के खिलाफ हैं, उनके कार्यकाल में यह कानून पारित हुआ. हालांकि, उनके हस्ताक्षर के बाद ही यह कानून प्रभावी होगा.