Indian Students Canada: भारत और कनाडा विवाद रुकने का नाम नहीं ले रहा है. कुछ दिनों पहले ही हिन्दू मंदिरों पर मौजूद लोगों के साथ खालिस्तानी चरमपंथियों ने हंगामा किया. अब इस मामले में एक पंडित को बर्खास्त कर दिया गया है. ऐसे में भारत से कनाडा पढ़ने गए छात्रों का मोह अब उस देश से भंग हो रहा है. कुछ भारतीय छात्र अच्छी शिक्षा के लिए कनाडा गए थे, लेकिन अब उनको अपने देश की याद आ रही है. खालिस्तानी समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद दोनों देशो के बीच तकरार बढ़ गया है. इस कड़वाहट ने प्रवासी भारतीयों की चिंता बढ़ा दी है.
कनाडा की जगह इस देश में जा रहे छात्र
पहले कनाडा भारतीय छात्रों की पहली पसंद हुआ करता था. लेकिन दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव ने छात्रों की चिंता बढ़ा दी है. उन्हें न केवल अपनी शिक्षा अधर में लटकती दिख रही है, बल्कि शिक्षा के बाद शुरू होने वाला करियर भी खतरे में दिख रहा है. बता दे, कुछ दिनों पहले पीएम जस्टिन ट्रूडो ने भारतीय छात्रों की संख्या घटाने की जानकारी दी थी. जिसके बाद अभी तक जो छात्र कनाडा पढ़ने जाते थे. वो अब अपने विकल्प से भी कनाडा का नाम हटा दे रहे है. इसके विकल्प की जगह वो न्यूजीलैंड, यूके, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और आयरलैंड जा रहे है.
आई़डीपी एजुकेशन एमरजिंग फ्यूचरस की तरफ से 6000 से ज्यादा लोगों को शामिल कर एक सर्वे कराया गया, जिसमे पाया गया कि 66 फीसद से ज्यादा छात्र कनाडा की बजाय दूसरे देशों में पढ़ने जा रहे है. अब छात्र कनाडा के विकल्प की जगह जर्मनी, अमेरिका और न्यूज़ीलैंड जैसे देश जा रहे है. इसके पीछे एक कारण ये भी है कि इन दोनों के वीजा और इमिग्रेशन को लेकर नियम कड़ा नहीं है.
इस सर्वे में सबसे ज्यादा पसंद की बात करें तो 24 फीसद छात्रों की पसंद ऑस्ट्रेलिया, 21 फीसद छात्रों ने यूके, 4 फीसद इजाफे के साथ 23 फीसद छात्रों ने पढ़ाई के लिए अमेरिका का विकल्प चुना है. अजल इजाफे की बात करें तो 5 फीसदी छात्रों ने न्यूज़ीलैंड को पसंदीदा जगह बताया. वही कनाडा की बात करें तो 16 फीसदी छात्रों ने वहां पढ़ने की बात कही है.
पाकिस्तान में भी पढ़ते है भारतीय छात्र
दोनों देशों के बीच तनाव के चलते भारतीय छात्रों की चिंता बढ़ती जा रही है. पीएम जस्टिन ट्रूडो ने विदेशी छात्रों की संख्या में कटौती के साथ ही उनके काम के घंटों में भी कटौती का ऐलान किया है. जिसके चलते भारतीय छात्रों के लिए पढ़ाई के साथ-साथ अपना खर्च निकालना भी मुश्किल हो गया है. पहले छात्र वहां पढ़ाई के साथ-साथ नौकरी भी करते थे, जिससे उनके परिवार पर बोझ कम पड़ता था. लेकिन अब इस नियम के चलते भारतीय छात्रों को वहां रहने में दिक्कत आ रही है. यही वजह है कि कोई भी छात्र वहां जाकर पढ़ाई नहीं करना चाहता है. मौजूदा समय में 13,18,955 भारतीय छात्र विदेश में पढ़ाई करते हैं. इसमें से 4,27,000 छात्र कनाडा में जबकि 3,37,630 छात्र अमेरिका में पढ़ते हैं. 8,580 छात्र चीन, 900 इजरायल, 2,510 भारतीय छात्र यूक्रेन और 14 छात्र पाकिस्तान में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.
भारतीय छात्रों पर सीधा असर
कनाडा की लचीली विदेश नीति के कारण लाखों अप्रवासियों ने देश छोड़ने का फैसला किया है. क्योंकि उन्हें वहां नौकरी, आवास और अन्य प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. इससे कनाडा के स्थानीय लोगों में नाराजगी बढ़ गई और काम न मिलने से नाराज लोगों ने ट्रूडो सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. अपना वोट बैंक खिसकता देख पीएम ट्रूडो ने जल्दबाजी में कनाडा आने वाले लोगों की संख्या सीमित करने और सख्त आव्रजन नियम बनाने का ऐलान कर दिया. इस ऐलान का सीधा असर भारतीय छात्रों पर पड़ना तय था.