India china Russia trade comparison: चीन ने बताया है कि 2024 में रूस और उसके बीच व्यापार ने नए आयाम छूए. इस व्यापार को कुछ मायनों में ऐतिहासिक भी माना जा सकता है. यूक्रेन के खिलाफ रूस की जंग के बाद से पश्चिमी देशों ने मॉस्को पर कड़े प्रतिबंध लगाए थे. इसके बावजूद, बीजिंग और मॉस्को के बीच एक साल में करीब 245 बिलियन डॉलर का व्यापार होना दोनों देशों के मजबूत होते आर्थिक और कूटनीतिक रिश्तों का प्रतीक है. 2023 में दोनों के बीच 240 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ था. इस तरह, यह स्पष्ट है कि चीन ने रूस के साथ व्यापार करते समय पश्चिमी प्रतिबंधों की कोई खास परवाह नहीं की.
हालांकि, यह भी ध्यान देने वाली बात है कि चीन और रूस के बीच व्यापार तो बढ़ा है, लेकिन पिछले साल इसकी रफ्तार उतनी तेज नहीं रही, जितनी 2023 में थी. 2024 में दोनों देशों के व्यापार में केवल तीन प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई, जबकि 2023 में यह वृद्धि लगभग 33 प्रतिशत रही थी. रूस का कहना है कि दोनों देशों के बीच एक प्रभावी भुगतान प्रणाली की कमी के कारण व्यापारिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा, अमेरिका ने पिछले साल उन बैंकों पर विशेष कार्रवाई की थी जो रूस के साथ व्यापार में संलग्न थे, जिससे बीजिंग और मॉस्को के व्यापार पर भी असर पड़ा.
भारत और रूस के बिच कारोबारी रिश्ते
2024 में भारत और रूस के बीच व्यापारिक गतिविधियां लगभग 66 बिलियन डॉलर तक पहुंचीं, जो रूस और चीन के व्यापार का करीब एक-चौथाई है. पिछले पांच वर्षों में भारत-रूस व्यापार पांच गुना बढ़ा है. पिछले साल के शुरुआती नौ महीनों में ही दोनों देशों के व्यापार में 9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी. भारत और रूस 2030 के अंत तक अपने व्यापार को लगभग 100 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखते हैं.
2024 में हुए 66 बिलियन डॉलर के व्यापार में भारत ने करीब 4.5 बिलियन डॉलर का निर्यात किया, जबकि रूस ने भारत को लगभग 61 बिलियन डॉलर का निर्यात किया. भारत ने रूस को दवाएं, रसायन, इलेक्ट्रिक मशीनरी, लोहा और स्टील जैसी वस्तुएं भेजीं. वहीं, रूस से भारत में तेल, पेट्रोलियम उत्पाद, उर्वरक, खनिज संसाधन, बहुमूल्य पत्थर और अयस्क का आयात हुआ.
भारत और चीन के बिच कारोबारी रिश्ते
भारत और चीन के बीच पिछले वित्त वर्ष में लगभग 118 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ, जो चीन-रूस व्यापार का आधा है. भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक संबंध चीन के साथ ही है. हालांकि, दोनों देशों के बीच का व्यापार हमेशा चीन के पक्ष में रहा है. इसका मतलब यह है कि भारत, चीन से अधिक आयात करता है और निर्यात अपेक्षाकृत कम करता है.
इस संदर्भ में, नवंबर में जारी एक आंकड़ा एक दिलचस्प तस्वीर पेश करता है. इसके अनुसार, अप्रैल से अक्टूबर 2024 के बीच भारत और चीन के बीच हुए व्यापार में भारत का व्यापार घाटा बढ़कर लगभग 58 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया.
भारत और चीन की कंपनियां एक-दूसरे के देशों में व्यापार तो करती हैं, लेकिन लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के क्षेत्रों में सीमा विवाद के कारण कई बार तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो जाती है.