कौन हैं फ्रेडरिक मर्ज? जर्मनी के नए चांसलर बनने को तैयार कंजर्वेटिव नेता, जानिए सब कुछ 

जर्मनी के कंजर्वेटिव नेता फ्रेडरिक मर्ज़ देश के अगले चांसलर बनने की राह पर हैं. उनकी पार्टी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (CDU) ने हालिया आम चुनावों में सबसे ज्यादा वोट हासिल किए और ओलाफ शोल्ज़ की सेंटर-लेफ्ट सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (SPD) को हराया. 

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Friedrich Merz: जर्मनी के कंजर्वेटिव नेता फ्रेडरिक मर्ज़ देश के अगले चांसलर बनने की राह पर हैं. उनकी पार्टी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (CDU) ने हालिया आम चुनावों में सबसे ज्यादा वोट हासिल किए और ओलाफ शोल्ज़ की सेंटर-लेफ्ट सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (SPD) को हराया. 

CDU और क्रिश्चियन सोशल यूनियन (CSU) के गठबंधन ने 28.5% वोट हासिल किए, जबकि जर्मनी की फार-राइट पार्टी ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (AfD) 20.7% वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रही, जैसा कि जर्मन ब्रॉडकास्टर ARD ने बताया. रविवार शाम को अपनी पार्टी की बड़ी जीत के बीच मर्ज़ ने समर्थकों से कहा, “जर्मनी को फिर से भरोसेमंद तरीके से शासित किया जाएगा.”

राजनीतिक करियर की शुरुआत

फ्रेडरिक मर्ज़ का जन्म 11 नवंबर 1955 को जर्मनी के ब्रिलोन शहर में हुआ था. उनका परिवार कानूनी पेशे से जुड़ा रहा है. मर्ज़ ने 1976 में कानून की पढ़ाई शुरू की और 1972 में ही CDU में शामिल हो गए. 1981 में उन्होंने चार्लोट मर्ज़ से शादी की, जो एक वकील और अब जज हैं. उनके तीन बच्चे हैं. 1989 में मर्ज़ यूरोपीय संसद के लिए चुने गए.

1994 में उन्होंने होचसाउरलैंडक्राइस निर्वाचन क्षेत्र से जर्मन संसद बुंडेस्टाग में प्रवेश किया. 2000 में वे CDU के संसदीय नेता बने, लेकिन 2002 में यह पद एंजेला मर्केल को सौंपना पड़ा. 2005 में CDU/CSU और SPD की गठबंधन सरकार बनने के बाद मर्ज़ हाशिए पर चले गए और 2009 में सक्रिय राजनीति छोड़ दी. इसके बाद उन्होंने कानून और वित्त क्षेत्र में शानदार करियर बनाया.

ये है चुनौतियां और वादे

2018 में मर्केल के रिटायरमेंट की घोषणा के बाद मर्ज़ ने वापसी की. हालांकि, वे पहली बार पार्टी नेतृत्व की दौड़ हार गए. 2020 में दूसरा मौका मिला, लेकिन फिर असफल रहे. 2021 में तीसरे प्रयास में वे संसद में लौटे और 2022 में CDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. मर्ज़ अवैध प्रवासियों पर सख्त रुख और जर्मनी की अर्थव्यवस्था को पुनर्जनन देने के वादे के साथ आगे बढ़ रहे हैं. उनकी सबसे बड़ी चुनौती गठबंधन सरकार बनाना होगी.