Yunus China visit: इस समय बांग्लादेश में स्थिति बदतर होती जा रही है. हाल ही में अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस चीन के दौरे पर गए थे. युनूस की इस यात्रा को बांग्लादेश में एक सफल यात्रा के रूप में दिखाया जा रहा है. इस यात्रा के बाद वो पूरी दुनिया को दिखा रहे है कि यूनुस को चीन में बड़ा सम्मान मिला.
इस दौर यूनुस का स्वागत रेड कार्पेट पर किया गया. खुद यूनुस ने इस दौरे की महत्वता को बताया और चीन को अपना अच्छा मित्र भी बनाया. आगे कहा कि पहले से भी हमारे संबंध बहुत मजबूत रहे हैं. चीन के साथ आने से हमको व्यापर में भी मजबूती मिलेगी. आइए पूरी खबर के बारे में विस्तार से समझते है.
यूनुस का चीन दौरा
बांग्लादेश में इन दिनों हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं, लेकिन अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के हालिया चीन दौरे ने देश में नई उम्मीद जगाई है. यूनुस की यह यात्रा बांग्लादेश के लिए कथित तौर पर बड़ी सफलता के रूप में पेश की जा रही है. सरकार और समर्थक इसे वैश्विक मंच पर सम्मान का प्रतीक बता रहे हैं.
चीन में यूनुस का भव्य स्वागत हुआ, लाल कालीन बिछाया गया और उन्होंने खुद कहा, "यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम चीन को अपना अच्छा मित्र मानते हैं. पिछले कुछ वर्षों में हमारे संबंध बहुत मजबूत रहे हैं. हमारा व्यापार बहुत मजबूत है और चीन के साथ हमारे सहयोग से हमें लाभ होता है."
जिनपिंग को लुभाने की कोशिश
यूनुस ने अपने दौरे के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को प्रभावित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने भारत के खिलाफ बयानबाजी करते हुए कहा कि भारत के पूर्वोत्तर राज्य समुद्र से कटे हैं और ढाका इस क्षेत्र का संरक्षक है. बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने भी इस दौरे को "बड़ी सफलता" करार दिया.
उन्होंने कहा, "चीन एक समृद्ध और दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक देश है. चीन ने आने वाले दिनों में बांग्लादेश के व्यापार क्षेत्र में निवेश जारी रखने का वादा किया है. यह निस्संदेह हमारे लिए उम्मीद की किरण है."
क्या वाकई मिला कुछ खास?
हालांकि, इस यात्रा के बाद सवाल उठता है कि क्या जिनपिंग ने बांग्लादेश को कोई ठोस लाभ दिया? यात्रा खत्म होते ही चीन ने भारत की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया. जिनपिंग ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संदेश भेजकर कहा, "भारत और चीन के रिश्ते ड्रैगन और हाथी टैंगो जैसे होने चाहिए."
इससे साफ है कि चीन क्षेत्रीय संतुलन बनाना चाहता है. यात्रा के दौरान आर्थिक और तकनीकी सहयोग पर समझौते हुए, लेकिन जानकारों का मानना है कि ये वादे कागजों पर ज्यादा और ठोस कम हैं. दोनों देशों ने शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने पर सहमति जताई, लेकिन यूनुस को कोई बड़ा "तोहफा" नहीं मिला, जैसा प्रचारित किया जा रहा है.