Foreign Corrupt Practices Act : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसमें न्याय विभाग (DoJ) को निर्देश दिया गया कि वह विदेशी अधिकारियों को रिश्वत देने के आरोपों में अमेरिकी नागरिकों के खिलाफ अभियोजन रोक दे.यह आदेश Foreign Corrupt Practices Act (FCPA) के प्रवर्तन को अस्थायी रूप से रोकता है.
गौतम अडानी मामले पर प्रभाव
जो बाइडेन प्रशासन के दौरान, अमेरिकी न्याय विभाग ने गौतम अडानी और उनके सहयोगियों के खिलाफ धोखाधड़ी और रिश्वतखोरी की योजना रचने के आरोप में मुकदमा दायर किया था.ट्रंप के इस आदेश से अडानी समूह के खिलाफ अमेरिकी जांच प्रभावित हो सकती है.
FCPA के तहत, अमेरिकी सरकार विदेशी अधिकारियों को दी गई रिश्वत की जांच कर सकती है.अडानी समूह के खिलाफ भी ऐसी ही जांच चल रही थी.ट्रंप के आदेश के बाद, इस मामले में अमेरिकी कार्रवाई धीमी या समाप्त हो सकती है.
हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों पर असर
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर शेयर बाजार में हेरफेर और कॉर्पोरेट धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे, जिसमें विदेशी अधिकारियों को रिश्वत देने का भी दावा था.अगर अमेरिकी न्याय विभाग इन आरोपों की जांच करने वाला था, तो अब यह मामला ठंडे बस्ते में जा सकता है.
अब इस मामले में भारत की वित्तीय नियामक एजेंसियों (SEBI, ED) पर निगरानी बढ़ जाएगी.अगर भारतीय एजेंसियां गहरी जांच नहीं करती हैं, तो गौतम अडानी को तत्काल राहत मिल सकती है. ट्रंप के इस फैसले से अमेरिकी कार्रवाई भले ही रुक जाए, लेकिन ब्रिटेन, यूरोप और अन्य अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अडानी समूह की गतिविधियों पर नजर बनी रहेगी.
अडानी पर लगे आरोप
अमेरिकी न्याय विभाग के अनुसार, गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और अन्य अधिकारियों ने 2021 में भारत के ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और जम्मू-कश्मीर में सरकारी अधिकारियों को $265 मिलियन (करीब ₹2200 करोड़) की रिश्वत देकर सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल किए.
अडानी समूह ने इन आरोपों को निराधार बताया है. डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि FCPA के कड़े नियम अमेरिकी कंपनियों के लिए नुकसानदायक हैं, क्योंकि अन्य देशों की कंपनियां रिश्वतखोरी में लिप्त रहती हैं.उन्होंने कहा, "कोई भी अमेरिका के साथ व्यापार नहीं करना चाहता."