Tehran: ईरान मानवाधिकार संगठन (IHR) की रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को तेहरान के बाहरी इलाके में स्थित गेजेल हेसर जेल में 26 वर्षीय अहमद अलीजादेह को फांसी दे दी गई. अहमद, जिसे 2018 में हत्या का दोषी ठहराया गया था, ने हमेशा खुद को निर्दोष बताया और आरोप लगाया कि उसने यातना के दबाव में अपराध कबूल किया था.
रक्त धन
अप्रैल में अहमद की फांसी के पहले प्रयास को अंतिम क्षणों में रोका गया था जब पीड़ित के परिवार ने उसे माफ कर दिया था. ईरान के कानून के अनुसार, पीड़ित का परिवार माफी देकर या "रक्त धन" लेकर फांसी की सजा को रोक सकता है. हालांकि, इस बार कोई समझौता नहीं हो पाने के कारण, अधिकारियों ने बुधवार को सजा पर अमल कर दिया.
IHR के निदेशक महमूद अमीरी-मोगद्दाम ने इस फांसी की कड़ी आलोचना की और इसे ईरान की "निष्पादन मशीन" का हिस्सा बताया. उन्होंने कहा कि अहमद अलीजादेह एक "प्रतिभाशाली छात्र" था, जो लगातार अपनी बेगुनाही की बात करता रहा.
ईरान में मृत्युदंड पर सवाल
अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों, जैसे एमनेस्टी इंटरनेशनल, ने भी ईरान में मृत्युदंड के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है. एमनेस्टी की रिपोर्ट के अनुसार, चीन को छोड़कर, ईरान में सबसे अधिक मृत्युदंड दिए जाते हैं. अकेले अक्टूबर माह में ही 166 लोगों को मौत की सजा दी गई, जो 2007 के बाद किसी एक महीने में सबसे अधिक संख्या है.
ईरान में मृत्युदंड के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे मानवाधिकार संगठनों में चिंता बढ़ रही है. अहमद अलीजादेह की फांसी का मामला एक बार फिर इस गंभीर मुद्दे को उजागर करता है