Fetal hydronephrosis: किडनी से जुड़ी बीमारियां केवल उम्रदराज लोगों तक सीमित नहीं हैं. नवजात शिशु भी किडनी की समस्या से जूझ सकते हैं, जिसे फीटल हाइड्रोनेफ्रोसिस कहा जाता है. इस स्थिति में शिशु की किडनी में सूजन हो जाती है, जो यूरिन के सही तरीके से न निकल पाने के कारण होती है.
बीमारी के कारण और लक्षण
गुरुग्राम स्थित मेदांता हॉस्पिटल के पीडियाट्रिक सर्जरी एंड यूरोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ. संदीप कुमार सिंहा बताते हैं कि उन्नत अल्ट्रासाउंड तकनीकों से गर्भ में शिशु की किडनी की स्थिति का पता लगाना अब आसान हो गया है. गर्भावस्था के दौरान फीटल हाइड्रोनेफ्रोसिस के कई मामले सामने आते हैं, लेकिन सामान्यतः गर्भावस्था में किसी विशेष उपचार की आवश्यकता नहीं होती.
विशेषज्ञों ने कहा कि कुछ गंभीर मामलों में, भ्रूण के मूत्राशय में रुकावट को दूर करने के लिए ट्यूब डाली जा सकती है. हालांकि, ज़्यादातर मामलों में गर्भावस्था के दौरान उपचार की ज़रूरत नहीं होती. जन्म के बाद बच्चे का इलाज करना बहुत ज़रूरी है.
जन्म के बाद का उपचार
विशेषज्ञों ने बताया कि जन्म के बाद डॉक्टर नवजात शिशु के गुर्दे और मूत्राशय का अल्ट्रासाउंड करते हैं. संक्रमण को रोकने के लिए एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं. स्थिति की गंभीरता के आधार पर गुर्दे का स्कैन और मूत्राशय का एक्स-रे किया जाता है. कुछ मामलों में सर्जरी की भी आवश्यकता होती है.