Actor Manoj Kumar passed away: अपनी शानदार एक्टिंग से कई दशकों तक दर्शकों के दिलों पर राज करने वाले दिग्गज बॉलीवुड अभिनेता मनोज कुमार का निधन हो गया है. उनके लंबे फिल्मी करियर में समाज और देश से जुड़े मुद्दों को उठाने वाली फिल्में खास तौर पर लोकप्रिय रहीं.
मनोज कुमार की फिल्मों की सफलता का एक बड़ा कारण उनका शानदार संगीत भी था, जो आज भी 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय पर्वों पर गूंजता है. 'है प्रीत जहां की रीत सदा' और 'मेरे देश की धरती सोना उगले' जैसे गाने आज भी लोगों के दिलों में बसे हैं. आइए एक नजर डालते हैं उनकी कुछ यादगार फिल्मों पर.
उपकार (1967): जय जवान-जय किसान का नारा
मनोज कुमार ने ‘उपकार’ का निर्देशन और मुख्य भूमिका दोनों निभाई थी. फिल्म को दर्शकों और समीक्षकों से भारी सराहना मिली और इसे बेस्ट फिल्म, बेस्ट निर्देशक, बेस्ट कथा और बेस्ट संवाद जैसे फिल्मफेयर अवॉर्ड्स से नवाजा गया. ‘उपकार’ की सफलता के बाद मनोज को ‘भारत कुमार’ के नाम से जाना जाने लगा, क्योंकि फिल्म में उनके किरदार का नाम भी भारत था. यह फिल्म किसानों और सैनिकों के योगदान को उजागर करने वाली पहली फिल्म थी.
क्रांति (1981): ऐतिहासिक देशभक्ति का शिखर
‘क्रांति’ मनोज कुमार की ऐसी फिल्म है, जो अंग्रेजी शासन के अत्याचारों को दिखाती है और देशभक्ति की भावना जगाती है. इसमें दिलीप कुमार, हेमा मालिनी, शत्रुघ्न सिन्हा और शशि कपूर जैसे सितारों ने काम किया. फिल्म के संगीत, अभिनय और युद्ध दृश्य आज भी याद किए जाते हैं.
पूरब और पश्चिम (1970): देशभक्ति का प्रतीक
‘पूरब और पश्चिम’ में मनोज कुमार ने विदेशों में बसे भारतीयों की जीवनशैली और उनकी देशभक्ति को दर्शाया. इस फिल्म को उन्होंने खुद प्रोड्यूस किया था और यह उस समय की पसंदीदा फिल्मों में से एक थी, जब लोग देशभक्ति से ओतप्रोत सिनेमा देखना पसंद करते थे.
शहीद (1965): भगत सिंह की प्रेरणा
मनोज कुमार ने महान क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह के जीवन से प्रेरित होकर ‘शहीद’ फिल्म में उनका किरदार निभाया था. इसे कई लोग उनकी सर्वश्रेष्ठ फिल्म मानते हैं. इस फिल्म को हिंदी कैटेगरी में बेस्ट फिल्म का नेशनल अवॉर्ड भी मिला था, जो उनकी कला और समर्पण को दर्शाता है.
रोटी कपड़ा और मकान (1974): सामाजिक मुद्दों की गूंज
1974 में रिलीज हुई ‘रोटी कपड़ा और मकान’ में मनोज कुमार ने भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद की अर्थव्यवस्था और बेरोजगारी जैसे गंभीर मुद्दों को संवेदनशीलता से प्रस्तुत किया. फिल्म ने आम आदमी की मूलभूत जरूरतों – रोटी, कपड़ा और मकान – पर ध्यान केंद्रित किया.
मनोज की ये फिल्में न केवल मनोरंजक थीं बल्कि सभी भारतीयों के लिए प्रेरणास्रोत भी थीं. लेकिन उनके लंबे फिल्मी करियर में समाज और देश से जुड़े मुद्दों को उठाने वाली फिल्में खास तौर पर लोकप्रिय रहीं. इन फिल्मों को हर भारतीय को देखना चाहिए.